आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य
में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने
का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता है।
आयुर्वेद के
अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के संतुलन से
कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती। लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो
बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्वों
का संतुलन बनाया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित
करने पर बल दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार का रोग न हो।
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