जामुन के औषधीय गुण
बहुत से पेड़ ऐसे होते है जिसका हर हिस्सा बड़ा महत्वपूर्ण होता है ऐसा ही
है जामुन का पेड़ जिसके पत्ते, फल, गुठली, छाल सभी बहुत उपयोगी होते
है,जामुन का उपयोग हम फल के रूप में करते है परन्तु फल के साथ-साथ इसमे
बहुत औषधीय गुण होते है.तो आईये जाने जामुन के औषधीय गुणों के बारे में -
जामुन का रस
१. शारीरिक दुर्बलता - जामुन का रस, शहद, आँवले या गुलाब के फूल का रस
बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से
रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़
जाती है।
२. हैजा में - जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस
निकालकर ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक
ढक्कनदार साफ बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी
की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से
तुरंत राहत मिल जाती है।
३. कब्ज में - जामुन के कच्चे फलों का
सिरका बनाकर पीने से पेट के रोग ठीक होते हैं। जामुन का सिरका भी गुणकारी
और स्वादिष्ट होता है,अगर भूख कम लगती हो और कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस
सिरके को ताजे पानी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह और रात्रि, सोते
वक्त एक हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख
बढ़ती है।
जामुन के पत्ते
१. - विषैले जंतुओं के काटने पर
जामुन की पत्तियों का रस पिलाना चाहिए। काटे गए स्थान पर इसकी ताजी
पत्तियों का पुल्टिस बाँधने से घाव स्वच्छ होकर ठीक होने लगता है क्योंकि,
जामुन के चिकने पत्तों में नमी सोखने की अद्भुत क्षमता होती है।
२. -
जामुन के पत्तों का रस तिल्ली के रोग में हितकारी है. जामुन पत्तों की
भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दाँत और मसूड़े मजबूत होते हैं।
जामुन की छाल
१ . गले के रोगों में - गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत
बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए।
इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की
बीमारी भी दूर हो जाएगी। मुंह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएँ। वमन
होने पर जामुन का रस सेवन करें।
२. अपच में - जामुन के वृक्ष की छाल को घिसकर कम से कम दिन में तीन बार पानी के साथ मिलाकर पीने से अपच दूर हो जाता है।
३. गठिया में - गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को
खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता
है।
४. रक्त सम्बन्ध बीमारियों में - जामुन के वृक्ष की छाल को
घिसकर एवं पानी के साथ मिश्रित कर प्रतिदिन सेवन करने से रक्त साफ होता है।
जामुन के पेड़ की छाल को गाय के दूध में उबालकर सेवन करने से संग्रहणी रोग
दूर होता है।
जामुन की गुठली
१. मधुमेह में - जामुन की
गुठली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी मानी गई है। इसकी गुठली के अंदर
की गिरी में 'जंबोलीन' नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को
शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसी से मधुमेह के नियंत्रण में
सहायता मिलती है जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह
के रोगियों को लाभ होता है।
२. स्त्रियों में रक्तप्रदर की बीमारी
में जामुन की गुठली के चूर्ण में पच्चीस प्रतिशत पीपल की छाल का चूर्ण
मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में दिनभर में तीन बार ठंडे पानी के साथ लेने
से लाभ मिलता है।
३. पेचिश में - जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो से तीन बार लेने से काफी लाभ होता है।
४. पथरी में - पथरी बन जाने पर इसकी गुठली के चूर्ण का प्रयोग दही के साथ करने से लाभ मिलता है।
जामुन का फल
१. त्वचा सम्बन्धी रोगों में - जामुन में उत्तम किस्म का शीघ्र अवशोषित
होकर रक्त निर्माण में भाग लेने वाला तांबा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता
है। यह त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मेलानिन कोशिका को सक्रिय करता
है, अतः यह रक्तहीनता तथा ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है.
२ . - मंदाग्नि से बचने के लिए जामुन को काला नमक तथा भूने हुए जीरे के चूर्ण के साथ खाना चाहिए.
३. - जामुन यकृत को शक्ति प्रदान करता है और मूत्राशय में आई असामान्यता
को सामान्य बनाने में सहायक होता है। जामुन का लगातार सेवन करने से यकृत
(लीवर) की क्रिया में काफी सुधार होता है।
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