केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट
फल है। केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष
में हितकारी है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ,
रक्तपित, वात और प्रदर के उपद्रवों को नष्ट करता है।
केले के पेड़
को यदि हम देखे तो केले का हर हिस्सा काम का होता है,चाहे पत्ता हो,तना हो,
फल (कच्चा पका दोनों)हो,जड़ हो फूल हो, सभी बड़े महत्वपूर्ण है. यहाँ तक
कि जब केले पर कालिमा आ जाए तो हम उसे सडा जानकार फेक देते है, उस समय केला
और पौष्टिक हो जाता है.केला कभी सड़ता नहीं है.
केले में मुख्यतः
विटामिन-ए, विटामिन-सी,थायमिन, राइबो-फ्लेविन, नियासिन तथा अन्य खनिज तत्व
होते है. इसमें जल का अंश 64.3 प्रतिशत ,प्रोटीन 1.3 प्रतिशत,
कार्बोहाईड्रेट 24.7 प्रतिशत तथा चिकनाई 8.3 प्रतिशत है.
शक्तिवर्धक
:- एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी, पिसी हुई इलाइची व शहद मिला कर
केले खाने के साथ पीने से शरीर सुन्दर और बलशाली होता है, बल, वीर्य,
शुक्राणु ,काम-शक्ति और मष्तिस्क शक्त बढ़ती है . दही में केला और पीसी हुई
मिश्री मिलकर खाने से भी मोटापा बढ़ता है.
बलवृद्धि के लिए व्यायाम
तथा खेलकूद के बाद केले खाना चाहिए. केले में कार्बोहाईड्रेट पर्याप्त
मात्र में होता है जो सरलता से पाच जाता है , छोटे बच्चे को आसानी से दिया
जा सकता है. यह बच्चों के लिए उतम आहार है. इसे मसलकर दूध में मिलकर खिलने
से अधिक फायदा होता है. यह खून में वृद्धि करके शरीर की ताकत बढाता है.
नित्य केला का सेवन अगर दूध के साथ किया जाय तो कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य
पर अच्छा प्रभाव देखा जा सकता है.
केले को पकाने के लिए इथियन एवं
कैल्सियम कार्बाइड रसायन का पानी के घोल में डुबाया जाता है इससे केले पक
जाते है. ये रसायन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इनसे केले के पौष्टिक
तत्व भी नष्ट हो जाते है, इसलिए प्राकृतिक तरीके या वर्फ से पकाया ही खाना
चाहिए. चितलीदार केला रसायनों से पकाया जाता है. अतः इसे नहीं खाना चाहिए.
बिना धुले केला या अन्य कोई भी फल हानिकारक हो सकता है.
कच्चे केले
की सब्जी बहुत ताकतवर और पौष्टिक होती है मगर कच्चा केला आप ऐसे ही कभी न
खाएं उसे सब्जी के रूप में ही खाएं.केले को अगर दूध में मिक्स करके खाया
जाये तो यह पूरे भोजन की ताकत दे देता है. फिर आप दिन भर भोजन न भी करें तो
कमजोरी महसूस नहीं होगी. केला छोटे बच्चों के लिए उत्तम व पौष्टिक आहार
है। इसे मसलकर या दूध में फेंटकर खिलाने से लाभ मिलता है।
केले में
उपस्थित तत्व - इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम, मैगनीज, कापर, आयरन,
फास्पोरस,सल्फर, आयोडीन, अलुमिनियम, जिंक, कोबाल्ट, सिट्रिक एसिड, मैलिक
एसिड ,आक्जेलिक एसिड तथा केले के फूल में डोपामाइन, कैफिक एसिड, गेलिक
एसिड, प्रोतोकेतेच्विक एसिड, कम्पेस्तेराल, फेरुलिक एसिड, स्तीग्मास्तीराल,
डोपानोराद्रेनालिन , सेलेनाल ग्लायकोसाइड्स ,सिनामिक एसिड आदि तत्व पाए
जाते हैं.
पेचिश रोग में - पेचिश रोग में थोड़े-से दही में केला
मिलाकर सेवन से फायदा होता है।पेट में जलन होने पर दही में चीनी और पका
केला मिलाकर खाएं । इससे पेट संबंधी अन्य रोग भी दूर होते हैं।अल्सर के
रोगियों के लिए कच्चे केले का सेवन रामबाण औषधि है।
खाँसी में - एक
पके केले में आठ साबुत काली मिर्च भर दें, वापस छिलका लगाकर खुले स्थान पर
रख दें। शौच जाने के पूर्व प्रातः काली मिर्च निकालकर खा जाएँ , फिर ऊपर
से केला भी खा जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने से हर तरह की खाँसी ठीक हो
जाती है।अगर किसी को काली खांसी हो गयी है तो केले के तने को सुखाकर फिर
जला कर जो राख बचती है वह दो-तीन चुटकी लीजिये और शहद मिला कर चटा दीजिये .
काली खांसी जड़ से ख़त्म हो जाएगी.
जलने पर - आग से बदन का कोई
हिस्सा जल गया हो तो वहाँ केले को मसल कर रख दीजिये और ऊपर से कपडे से बाँध
दीजिये.जलन भी कम होगी और घाव भी ठीक होगा.
पथरी में - केले के
तने की भस्म को पानी में घोल कर पीने से मूत्राशय की पथरी गल के निकल जाती
है .केले का रस पीने से खुल कर पेशाब आता है और मूत्राशय (यूरीन ब्लैडर)
साफ़ हो जाता है.जिससे देह में संचित रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.
परिणामतः रोग भी नष्ट हो जाते हैं.केला अगर एक निश्चित मात्रा में रोज खाया
जाए तो ये किडनी को मजबूत बनाता है.
बहुत ज्यादा यूरीन हो रहा हो तो भी आप एक या दो कच्चा केला खा सकते हैं.
शारीरिक कमजोरी में - जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो, तो केले को सुखाकर पीसकर
केले का आटा बनाकर, केले के आटे की रोटी खानी से कमजोर पाचन शक्ति ठीक हो
जाती है. केला सुखाकर पीसकर उसका पावडर बना कर रख लीजिये. इस पावडर को छोटे
बच्चों को ५ ग्राम की मात्र में रोज खिला दीजिये.६ महीने तक खिलाने से
कमजोर बच्चा पहलवान जैसा मजबूत हो जाएगा. चहरे पर चमक भी आ जाएगी.
कोलेस्ट्रॉल - केले में मैग्नीशियम की काफी मात्रा होती है जिससे शरीर की
धमनियों में खून पतला रहने के कारण खून का बहाव सही रहता है। इसके अलावा
पूर्ण मात्रा में मैग्नीशियम लेने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है।
संग्रहणी - किसी को संग्रहणी की शिकायत हो तो वह पके केले के साथ इमली और
नमक खाए , यह मिश्रण संग्रहणी दूर कर देता है.हैजे से ग्रसित रोगी को सुबह
शाम एक एक पका केला जरूर खिला देना चाहिए
सांस से सम्बंधित बीमारी
में - सांस से सम्बंधित कोई बीमारी हो तो एक केला लीजिये ,उसमे बीच में
चीरा लगाकर काली मिर्च का ३-४ ग्राम पावडर भर के रात भर रख दीजिये, सवेरे
इस केले को तवे पर ज़रा सा देशी घी डाल कर सेंक लीजिये.फिर खा लीजिये. ३
दिन लगातार यही काम करे. सांस की बीमारी ख़त्म.
बबासीर में - एक केले को बीच से चीरा लगाकर चना बराबर कपूर बीच में रख दे फिर इसे खाए इससे बबासीर एकदम ठीक हो जाती है.
माहवारी में - अगर महिलाओं को माहवारी के समय बहुत ज्यादा रक्तस्राव
होता हो तो केले के फूलों का रस निकाल कर उसे दही मिला कर पी लें. इस दवा
से पतले दस्त में भी बहुत फायदा होता है.
ब्लड सुगर- केले के फूलों का सत मिल जाए तो इसे ब्लड सुगर को कंट्रोल करने के लिए रोजाना एक चुटकी खा लीजिये. बहुत अचूक दवा है.
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