Wednesday, April 25, 2018

निरोगी काया अनमोल रत्न, R.O. का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण

चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले ना मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए और अगर पानी Ro का हो तो क्या बात है परंतु क्या वास्तव में हम आर ओ को शुद्ध पानी मान सकते हैं,जवाब आता है बिल्कुल नहीं और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की तरफ से दिया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सर दर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं, यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है.

वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की छमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि नुकसानदायक है इसके विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं जिससे मानव शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता.

जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया..जागरूक रेहना और जागरूक करना ज़रूरी हैं, क्यूंकि अविष्कार ज़रूरी हैं अब!

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