आलू के औषधीय गुण का विवरण नीचे दिया जा रहा है
नेत्र रोग- कच्चे आलू को साफ पत्थर के टुकड़े पर घिसकर 2-3 माह तक नेत्रों
में काजल की भाति लगाने से 4-5 वर्ष पुरानी फुली या जाला नष्ट हो जाते है।
आग से जलना- जले हुए स्थान पर फफोला पड़ने से पूर्व ही कच्चा आलू पत्थर पर
बारीक पीसकर लेप कर देने से दाहकता शांत हो जायेगी फफोला नही पड़ेगा और
रोगी स्थान शीघ्र ठीक हो जयेगा।
स्कर्वी- दातों की हड्डिया सूज गई हो और मसूढ़ों से रक्त निकलता हो तो भुने
आलूओं का सेवन करे अथवा छिलके सहित आलू का पतला शाक या शूप बनाकर खाना
चाहिए।
बेरी बेरी- कच्चा आलू चबाकर उसका रस ग्रहण करने अथवा आलू कूट
पीसकर उसका रस निचोड़ कर एक एक चम्मच की मात्रा में पिलाते रहने से नाडि़या
की क्षीणता दूर होने लगती है। और पुनः शक्ति प्राप्त कर चलने योग्य हो
जाता है।
कमर का दर्द (कटिवेदना)- कच्चे आलू की पुल्टिस बनाकर कमर पर लगानी चाहिए।
विसर्प- त्वचा पर पड़ने वाली लाल लाल फुन्सियों को विसर्प कहते है। उन पर
तथा घुटने या अन्य संधि स्थलों की शोथ (सूजन) या चोट लगने से नसें नीली पड़
जाने पर कच्चे आलू पीसकर रोगी में आलू का सेवन हितकर रहता है।
निला पड़ना- चोट लगने पर नील पड़ जाने की स्थिति में जिस स्थान पर नील पड़ी है वहा कच्चा आलू पीसकर लगाना लाभप्रद है।
तेज धूप व लू से त्वचा झुलस जाने पर कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाना लाभदायक है।
गठिया- कण्डों पर चार आलू भूनकर उनका छिलका उतारकर आलूओं में नमक मिर्च डालकर खाना गठिया में लाभप्रद है।
आमवात- आलू खाना आमवात में लाभदायक है।
उच्च रक्त चाप- पानी में नमक डालकर आलू उबालकर छिलका सहित ही रोगी को खिलाये।
त्वचा की झुर्रियां- सर्दी में हाथों की त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाने की स्थिति में कच्चा आलू पीसकर हाथो पर मलें।
विशेष- कच्चे आलू के स्थान पर निबू का रस हाथों पर मलना भी लाभप्रद होता है।
दाद, फुन्सियां, गैस, स्नायविक तथा मांसपेशियों के रोग होने पर कच्चे आलू का रस पीये।
अम्लता- भोजन में नियमित रूप से आलू का सेवन करने से अम्लता दूर होती है।
आलू पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जायेगा।
गुर्दे की पथरी- गुर्दो में पथरी होने पर केवल कच्चा आलू पीसकर लगाना आरामदायक होता है।
घूटनों में सूजन व जोड़ों में दर्द होने पर कच्चा आलू पीसकर लगाना आरामदायक होता है।
वातरक्त- कच्चे आलू को पीसकर अंगूठे पर लगाने से दर्द समाप्त हो हो जाता है।
No comments:
Post a Comment