चिरौंजी को भला कौन नहीं जानता। यह हर घर में एक सूखे मेवे की तरह
प्रयोग की जाती है। इसका प्रयोग भारतीय पकवानों, मिठाइयों और खीर व सेंवई
इत्यादि में किया जाता है। चिरौंजी को चारोली के नाम से भी जाना जाता है।
चारोली का वृक्ष अधिकतर सूखे पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। दक्षिण
भारत, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर आदि स्थानों पर यह
वृक्ष विशेष रूप से पैदा होता है।
चिरौंजी स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिहाज से बहुत अच्छी मानी जाती है। चिरौंजी
का लेप लगाने से चेहरे के मुंहासे, फुंसी और अन्य चर्म रोग दूर होते हैं।
चिरौंजी को खाने से ताकत मिलती है, पेट में गैस नहीं बनती एंव शिरःशूल को
मिटाने वाली होती है। चिरौंजी का पका हुआ फल मधुर, स्निग्ध, शीतवीर्य तथा
दस्तावार और वात पित्त, जलन, प्यास और ज्वर का शमन करने वाला होता है।
चेहरा
खांसी में
खांसी में चिरौंजी का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है। चिरौंजी
पौष्टिक भी होती है, इसे पौष्टिकता के लिहाज से बादाम के स्थान पर इस्तेमाल
कर सकते हैं।
बालों को काला करे
चिरौंजी का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी है।
खूनी दस्त रोके
5-10 ग्राम चारोली को पीसकर दूध के साथ लेने से खूनी दस्त में लाभ होता है।
चेहरे को सुंदर बनाने के लिये
चिरौंजी को गुलाब जल के साथ पीस कर चेहरे पर लेप लगाएं। फिर जब यह सूख जाए
तब इसे मसल कर धो लें। इससे चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार बन जाएगा।
मुंहसों को दूर करे
संतरे के छिलके और चिरौंजी को दूध के साथ पीस कर चेहरे पर लेप लगाएं। जब
लेप सूख जाए तब चेहरे को धो लें। एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई
दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।
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