Wednesday, April 25, 2018

प्रेग्नेंसी में जरूरी है फोलिक एसिड

खान-पान और अन्य चीजों को लेकर प्रेग्नेंसी में विशेष सावधानी बरतनी आवश्यक हो जाती है। यदि ऐसा न किया जाए तो प्रेग्नेंसी में प्रॉब्लम हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंट महिला के हार्मोंस में काफी परिवर्तन आ जाता है। ऐसे में विटामिन, कैल्शियम, कैलोरी इत्यादि की जरूरत भी अधिक होती है।

प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड का नियमित रूप से सेवन करना आवश्यक है। फोलिड एसिड की कमी गर्भवती मां और होने वाले बच्चें के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है। आइए जानें क्यों प्रेग्नेंसी में जरूरी है फोलिड एसिड।

प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड
गर्भवती महिला को खाने में विटामिन, मिनरल और अन्य पोषक तत्वों के साथ ही फोलिक और आयरन लेना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है।
वैसे तो आमतौर पर भी इन विटामिंस की जरूरत होती है, लेकिन गर्भावस्था में फोलिक एसिड और आयरन की आवश्यकता सामान्य से 50फीसदी तक बढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड का नियमित सेवन न करने से गर्भवती महिला को एनीमिया हो सकता है। इतना ही नहीं यह बीमारी होने वाले बच्चे को भी हो सकती है।
शुरूआती दिनों में फोलिक एसिड का अधिक सेवन करने से गर्भावस्था के आने वाले दो-तीन महीनों में इसकी आपूर्ति होती है। ऐसे में शुरूआती समय में ही फोलिक एसिड और आयरन भरपूर मात्रा में लेना चाहिए।
फोलिक एसिड की पूर्ति के लिए गर्भवती महिला को हरी पत्तेदार सब्जियां, स्ट्राबेरी, फलियों, संतरे, मोसमी और सलाद का सेवन करना चाहिए। हालांकि इसके फोलिक एसिड की पिल्स भी आती हैं लेकिन पिल्स से अन्य बीमारियां जैसे कब्ज इत्यादि होने की संभावना रहती है।
गर्भावस्था में फोलिक एसिड की कमी जैसी समस्या आम होती है। इसकी वजह से बच्चे की रीढ़ की हड्डी में विकार उत्पन्न हो सकते हैं। साथ ही मस्तिष्क के सामान्य विकास पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए गर्भावस्था में यह सबसे ज्यादा जरूरी है।
गर्भावस्था शुरूआत में भले ही फोलिक एसिड की मात्रा कम लें, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ा देनी चाहिए जिससे फोलिड एसिड की कमी से कोई विकार उत्पन्न ना हो।
गर्भावस्था में फोलिक एसिड के नियमित सेवन से गर्भस्थ शिशु में होने वाले जन्मजात विकार जैसे स्पाईनल बायफिडा की समस्या कम हो जाती है।

गर्भावस्था में फोलिक एसिड और अन्य विटामिन, मिनरल्स इत्यादि की कमी होने से न सिर्फ मां बल्कि होने वाले बच्चें को भी कई स्वास्‍थ्‍य समस्या‍एं हो जाती है। इसके अलावा मां और बच्चे की जान का भी जोखिम बना रहता है।

No comments:

Post a Comment